दोस्तों आप सभी का स्वागत है हमारे इस लेख Ravindranath Tagore Biography में और आज के अपने इस लेख में हम एक ऐसी शख्सियत के बारे में बात करने वाले हैं जिन्होंने कई क्षेत्रों में अपनी पहचान बनाई है और हम उन्हें रविंद्रनाथ टैगोर के रूप में जानते हैं जिन्होंने हमारे देश का राष्टगान लिखा है।
आपको बता दें कि वह एक कवि, लेखक, नाटककार, संगीतकार, दार्शनिक, समाज सुधारक, और एक चित्रकार के रूप में जाने जाते हैं और वर्ष 1993 में उन्हें गीतांजलि के लिए नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ था और वहीं से प्राप्त करने वाले पहले गैर यूरोपीय गीतकार थे।
आपको बता दें कि उन्होंने भारत के साथ-साथ बांग्लादेश का राष्ट्रगान भी लिखा है और उन्हें गुरुदेव, कोबीगुरु, विश्वकोबी जैसे उपनामों से भी जाना जाता है, तो यदि आप उनके बारे में और भी जानना चाहते हैं तो हमारे इस लेख को अंत तक पढ़े-
रवींद्रनाथ टैगोर की जीवनी (Ravindranath Tagore Biography)
नाम (Name) | रवींद्रनाथ टैगोर |
उपनाम (Nick Name) | गुरुदेव विश्वकोबी, कोबीगुर |
पेशा (Profession) | लेखक, कवि, नाटककार, संगीतकार, चित्रकार |
जन्म (Date Of birth) | 7 मई 1861 |
जन्म स्थान (Birth Place) | कलकत्ता, ब्रिटिश-भारत |
उम्र (Age) | 80 वर्ष (मृत्यु के समय) |
धर्म (Religion) | हिंदू |
नागरिकता (Nationality) | ब्रिटिश भारत |
शिक्षा (Education) | यूनिवर्सिटी कॉलेज, लंदन |
गृह नगर (Home Town) | कलकत्ता, ब्रिटिश भारत |
पत्नी (Wife) | मृणालिनी देवी |
आंदोलन (Protest) | आधुनिकतावाद |
खिताब (Prize) | साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार |
मृत्यु (Date of Death) | 7 अगस्त 1941 |
मृत्यु का स्थान (Death Place) | कलकत्ता, ब्रिटिश-भारत |
रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म एवं शुरुआती जीवन –
विभिन्न विषयों में अपनी एक अमिट छाप छोड़ने वाले रविंद्र नाथ टैगोर का जन्म 7 मई 1861 को कोलकाता की जोड़ासांको ठाकुरबाड़ी में हुआ था उनके पिता का नाम देवेंद्र नाथ टैगोर और माता का नाम शारदा देवी था।
आपको बता दे की रविंद्रनाथ अपने माता-पिता की 13वीं और आखिरी संतान थे और बचपन में उन्हें रवी बुलाया जाता था आपको बता दें कि उनके पिता देवेंद्र नाथ टैगोर एक व्यापक रूप से यात्रा करने वाले व्यक्ति थे और कई संगीतकारों को घर में रहने और बच्चोंको भारतीय शास्त्रीय संगीत पढ़ने के लिए आमंत्रित किया था।
उन्होंने बहुत-ही कम उम्र में अपनी मां को खो दिया था और उनके पिता एक यात्री थे इसलिए उनका पालन पोषण घर की देखभाल करने वाले लोगों ने ही किया और उन्होंने महेश पाठ 8 वर्ष की उम्र में अपनी पहली कविता लिखी और सिर्फ 16 वर्ष की उम्र में उनका पहली कविता संग्रह प्रकाशित हुआ था।
रवींद्रनाथ टैगोर की शिक्षा (Ravindranath Tagore Education)
रवींद्रनाथ टैगोर ने पारंपरिक शिक्षा इंग्लैंड के ईस्ट सक्सेस के ब्राइटन के एक पब्लिक स्कूल से शुरू की थी और उनके पिता चाहते थे कि वह एक बैरिस्टर बने इसके लिए उनके पिता ने 1878 में उन्हें इंग्लैंड भेज दिया और उन्हें यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लंदन में भर्ती कराया गया।
परंतु उनकी पढ़ने में बिल्कुल भी रुचि नहीं थी इसलिए उन्होंने कक्षा छोड़ दी और खुद ही ‘शेक्सपियर’ के नाटक सीखने लगे और फिर कुछ समय बाद वह भारत वापस लौट आए और इसके बाद उन्होंने अंग्रेजी, वायरस और स्कॉटिश साहित्य संगीत का मूल आत्मसार कर लिया।
रवींद्रनाथ टैगोर का परिवार (Ravindranath Tagore Family)
पिता का नाम (Father’s Name) | देवेंद्रनाथ टैगोर |
माता का नाम (Mother’s Name) | शारदा देवी |
भाई का नाम (Brother’s Name) | द्विजेंद्रनाथ, सत्येंद्रनाथ एवं अन्य |
बहन का नाम (Sister’s Name) | स्वर्ण कुमारी एवं अन्य |
पत्नी का नाम (Wife’s Name) | मृणालिनी देवी |
बेटे का नाम (Daughter’s Name) | ज्ञात नहीं |
बेटी का नाम (Son’s Name) | ज्ञात नहीं |
रवींद्रनाथ टैगोर की पत्नी (Ravindranath Tagore Wife)
रवींद्रनाथ टैगोर ने लंदन से वापस लौट के बाद ‘मृणालिनी देवी’ से विवाह कर लिया और उसे समय मृणालिनी देवी की उम्र मात्र 10 वर्ष थी, आपको बता दें कि उनके चार बच्चे थे जिम दो बच्चों की मृत्यु बाल्यावस्था में ही हो गई और इसकेबाद उनकी पत्नी का भी देहांत हो हो गया।
रवींद्रनाथ टैगोर ने रखी थी शांति निकेतन की नींव (Ravindranath Tagore And Shantiniketan)
रवींद्रनाथ टैगोर के पिता ने आश्रम के लिए किसान भूमि खरीदी थी जिस पर 1863 में असम की स्थापना की गई और इसी में वर्ष 1901 में रविंद्रनाथ टैगोर ने अपने एक ओपन और स्कूल की स्थापना की।
यह स्कूल संगमरमर के फर्श वाला एक प्रार्थना कक्षा था और इसे “मंदिर” नाम दिया गया और केवल पांच छात्रों के साथ इसकी शुरुआत हुई जिसका नाम “पाठ भवन” रखा गया और यहां पर पारंपरिक गुरु शिष्य पद्धति का पालन करते हुए कक्षाएं पेड़ों के नीचे संचालित की जाती थी।
इसी दौरान रविंद्र नाथ टैगोर की पत्नी और उनके दो बच्चों की की मृत्यु हो गई जिसके बाद में अकेले रह गए और वह काफी परेशान रहने लगे परंतु इसी बीच उनकी रचनाएं काफी ज्यादा मशहूर होने लगी और 1913 में उन्हें एक बड़ी कामयाबी मिला जहां उन्हें साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
इसके बाद उन्होंने पश्चिम बंगाल में “विश्व भारती विश्वविद्यालय” की स्थापना की जिसके दो परिसर है जिम एक ‘शांति निकेतन’ और दूसरा ‘श्री निकेतन’ है और श्रीनिकेतन परिसर कृषि, प्रौढ़ शिक्षा, गांव, कुटीर उद्योग और हस्तशिल्प पर केंद्रित है।
रवींद्रनाथ टैगोर का साहित्यिक योगदान (Ravindranath Tagore Notable Work)
जैसा कि हमने जाना रवींद्रनाथ टैगोर साहित्य की कई क्षेत्र में अपनी अच्छी पकड़ रखते थे पर उन्होंने अपने पूरे जीवन काल में कई कविताएं उपन्यास लघु कथाएं लिखी हैं, आपको बता दें कि उन्होंने मात्र 8 वर्ष की उम्र से ही लिखना शुरू कर दिया था।
परंतु अपने बच्चों और पत्नी को खोने के बाद उनके साहित्य लेखन में रुचि और भी बढ़ गई जिसके बाद उन्होंने बहुत सारी साहित्यिक रचनाएं लिखी।
- उपन्यास :
ऐसा माना जाता है कि रवींद्रनाथ टैगोर की किताबें उनकी सबसे कम सराही गई कृतियां हैं उन्होंने शेषर कोबिता, नौकाडुबी, गोरा, चतुरंग, घरे बाइरे और जोगाजोग जैसे उपन्यास लिखे हैं।
- लघु कथाएं :
रवींद्रनाथ टैगोर ने किशोरावस्था से ही छोटी कहानी लिखना शुरू कर दिया था और उनका यह सफर उनके एक साहित्यिक जीवन भिखारी केसाथ शुरू हुआ था, और बाद में उन्होंने सामाजिक विषयों और गरीब आदमी की परेशानियों को मुद्दा बनाया एवं कई सारी लघु कथाएं जैसे काबुलीवाला, क्षुदिता, पाषाण, ऑटोत्जू हेमंती, मुसलमानिर गोलपो आदि लघु कथाएं लिखी।
- कविताएं :
साथियों आपको बता दें की रविंद्र नाथ कबीर और राम प्रसाद सेन जैसे पुराने कवियों से बहुत ज्यादा प्रेरित थे उन्होंने 1893 में एक कविता लिखी और इसे एक भाभी कवि को समर्पित किया और उनकी उत्कृष्ट कृतियों में बालिका, पुरोबी, सोनार तोरी और गीतांजलि शामिल है।
रवींद्रनाथ टैगोर की प्रमुख कृतियां (Ravindranath Tagore Famous Poems)
- गीतांजलि
- पूरबी प्रवाहिन
- शिशु भोलानाथ
- महुआ
- वनवाणी
- परिशेष
- विथिका शेषलेखा
- चोखेरबाली
- कणिका
- क्षणिका
- गीतिमाल्य
- कथा ओ कहानी
- पुनश्च
1941 में दुनिया को कहा अलविदा (Ravindranath Tagore Death)
इस बात में कोई शक नहीं है कि रविंद्र नाथ टैगोर ने बंगाली साहित्य के आयाम को बदलकर रख दिया और कई देश द्वारा इस महान लेखक को श्रद्धांजलि देने के लिए उनकी प्रतिमाएं बनाई गई है और आज पांच संग्रहालय टैगोर को समर्पित किए गए हैं जिनमें से तीन भारत में और दो बांग्लादेश में स्थित है।
आपको बता दे की रविंद्र नाथ टैगोर का अंतिम समय काफी कष्ट भर रहा है और वर्ष 1937 में कोमा में जाने के बाद वह लंबी पीड़ा और दर्द से लड़ने के बाद उनका 7 अगस्त 1941 को अपनी कोलकाता स्थित जोरासांको हवेली उनका निधन हो गया, और यह वही जगह थी जहां उनका बचपन बीता था।
आज भले ही वह हमारे बीच नहीं है परंतु उन्हें केवल भारत ही बल्कि समूचे विश्व में साहित्य कला और संगीत के एक महान प्रकाश स्तंभ केरूप में जाना जाता है जो अनंत काल तक इसी प्रकार से प्रकाशमान रहेगा।
रवींद्रनाथ टैगोर से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण रोचक तथ्य –
- टैगोर ने महज 8 वर्ष की उम्र में अपनी पहली कविता लिख डाली थी।
- मात्र 16 वर्ष की उम्र में उनका पहला कविता संग्रह प्रकाशित हुआ था।
- उनकी बहन स्वर्ण कुमारी एक उपन्यासकार थी।
- टैगोर परिवार बंगाल पुनर्जागरण के समय अग्रणी परिवारों में से था।
- उनके पिता देवेंद्रनाथ टैगोर एक व्यापक रूप से यात्रा करने वाले व्यक्ति थे।
- टैगोर ने दो रचनाएं लिखीं जिनमें से एक भारत का राष्ट्रगान तो वहीं दूसरी बांग्लादेश का राष्ट्रगान बनी।
- उन्होंने बहुत कम उम्र में अपनी मां को खो दिया था।
- वर्ष 1913 में उन्हें गीतांजलि के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
- रविंद्रनाथ टैगोर नोबेल पुरस्कार अब तक करने वाले पहले गैर यूरोपीय व्यक्ति हैं।
- टैगोर वह पहले इंसान थे जिन्होंने पूर्वी और पश्चिमी दुनिया के मध्य सेतु बनाने का कार्य किया था।
- उन्होंने अपनेजीवन में 2000 से भी अधिक गीतों की रचना की है।
- रवींद्रनाथ टैगोर कबीर और रामप्रसाद सेन जैसे पुराने कवियों से प्रेरित थे।
- वर्ष 1941 में वह इस दुनिया को छोड़कर पांच तत्वों में विलीन हो गए।
- रवींद्रनाथ टैगोर को पांच संग्रहालय समर्पित किए गए हैं जिनमें से तीन भारत और दो बांग्लादेश में है।
FAQ :
रवींद्रनाथ टैगोर की जन्म तिथि क्या है?
7 मई 1861, कलकत्ता ब्रिटिश-भारत
रवींद्रनाथ टैगोर की पत्नी कौन थी?
मृणालिनी देवी
रवींद्रनाथ टैगोर का असली नाम क्या था?
रविंद्र नाथ ठाकुर
टैगोर की कौन सी पुस्तक विश्व-प्रसिद्ध हुई?
गीतांजलि
रवींद्रनाथ टैगोर की मृत्यु कैसे हुई?
7 अगस्त 1941 को, सर्जरी की जटिलताओं के कारण
रवींद्रनाथ टैगोर के कितने भाई बहन थे?
रवींद्रनाथ टैगोर के 12 भाई बहन थे, और वह 13वें एवं सबसे छोटे थे।